भारतीय शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत को करने से न सिर्फ हमें पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि हमारे जीवन से जुड़े तमाम प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिलता हैं | ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है, भगवान विष्णु के आशीर्वाद से व्रत करने वाले साधक का पारिवारिक जीवन सुख से गुजरता हैं | बताया जाता है इस दिन व्रत रखने वाले लोगों को अपार धन की प्राप्ति होती है, इस एकादशी व्रत को करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और साधक को अपार धन से सम्पन्न बनाती है और इसीलिए इस एकादशी को अपरा एकादशी कहते है और इस साल यह एकादशी 30 मई को हैं |
जानिए किन पापों से मिलती है मुक्ति
अपरा एकादशी अपार पुण्य फल प्रदान करने वाली एक पावन तिथि है, इस तिथि के दिन व्रत करने से व्यक्ति को उन सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है जिसके लिए उसे प्रेत योनि में जाना पड़ सकता हैं | पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी व्रत से व्यक्ति को जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत-आराम मिलता है अगर अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है तो वह अपार धन का उपभोग करता हैं | हमारे पुराणों के अनुसार बताया गया है कि परनिंदा, झूठ, ठगी और छल ऐसे पाप है जिनके कारण व्यक्ति को नर्क में भी जाना पड़ सकता है, इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति नर्क की यातना भोगने से बच सकता हैं |
अपरा एकादशी व्रत की पूजन विधि
शास्त्रों में एकादशी व्रत के बारे में कहा गया है कि व्यक्ति को दशमी के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान का ध्यान करने के बाद या करते हुए सोना चाहिए | एकादशी के दिन सुबह उठकर अपने मन से सभी विचारों को निकाल दें और स्नान करने के बाद सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवान की पूजा में तुलसी पत्ता, श्रीखंड चंदन, गंगाजल एंव मौसमी फलों का प्रसाद अर्पित करना चाहिए | व्रत रखने वाले को पुरे दिन परनिंदा, झूठ और छल कपट से हमेसा बचना चाहिए , जो लोग किसी कारण व्रत नहीं रख पाते है उन्हें एकादशी के दिन चावल का प्रयोग भोजन में नहीं करना चाहिए | इन लोगों को भी झूठ और परिनिन्दा से बचना चाहिए, जो व्यक्ति एकादशी के दिन विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करता है उस व्यक्ति पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहती हैं |
भगवान विष्णु की कृपा बनाये रखने वाली व्रत कथा
भारतीय पुराणों के अनुसार महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था और राजा का छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई से द्वेष- नाराज रखता था, एक दिन अवसर पाकर इसने अपने बड़े भाई वह राजा की हत्या कर दी और शरीर को जंगल में पीपल के पेड़ के निचे गाड़ दिया | इस तरह अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा प्रेत बनकर उस पीपल के पेड़ पर रहने लगी, मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को आत्मा परेशान करती थी और एक दिन एक ऋषि इस रास्तें से गुजर रहे थे, उन्होंने प्रेत को देखा और अपने तपोबल से उसके प्रेत बनने का कारण पूछा-जाना | इसके बाद ऋषि ने पीपल के पेड़ से राजा की प्रेतात्मा को निचे उतारा और परलोक विधा का उपदेश दिया, राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा और द्वादशी के दिन पूरा व्रत होने पर व्रत का फल-पुण्य राजा की प्रेत आत्मा को दे दिया | एकादशी के व्रत पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनि से मुक्त हो गए और स्वर्ग सिधार-चले गए |